आरती श्री साईं गुरुवर की ! परमानन्द सदा सुरवर की !!धृ!!
जाकी कृपा विपुल सुखकारी ! दुःख, शोक, संकट, भयहारी !!1!!
शिर्डी में अवतार रचाया ! चमत्कार से तत्त्व दिखाया !!2!!
कितने भक्त चरण पर आये ! वे सुख-शांति चिरंतन पाये !!3!!
भाव धरे मन में जो जैसा ! पावत अनुभव वो ही वैसा !!4!!
गुरु की उदी लगावे मन को ! समाधान लाभत उस मन को !!5!!
साईं नाम सदा जो गावे ! सो फल जग में शाश्वत पावे !!6!!
गुरुवार करी पूजा-सेवा ! उसपर कृपा करात गुरुदेवा !!7!!
राम, कृष्ण, हनुमान रूप में ! दे दर्शन जानत जो मन में !!8!!
विविध धर्म के सेवक आते ! दर्शन इच्छित फल वे पाते !!9!!
जय बोलो साईं बाबा की ! जय बोलो अवधूत गुरु की !!10!!
"साईंदास" आरती को गावे ! घर में बेस सुख, मंगल पावे !!11!!
साईं रहम नज़र करना, बच्चों का पालन करना
जाना तुमने जगत्पसारा, सब ही झूट जमाना
मैं अँधा हूँ बाँदा आपका, मुझको प्रभु दिखलाना
दास गणु कहे क्या बोलूं, थक गयी मेरी रसना
रहम नज़र करो अब मेरो साईं, तुम बिन नहीं मुझे माँ-बाप भाई
मैं अँधा हूँ बंदा तुम्हारा, मैं न जानू अल्लाइलाही
खली जमाना मैंने गमाया, साथी आखर का किया न कोई
अपने मशिदका झाड़ू गणू है, मालिक हमारे, तुम बाबा साईं
साईं पद
साईं रहम नज़र करना, बच्चों का पालन करना
जाना तुमने जगत्पसारा, सब ही झूट जमाना
मैं अँधा हूँ बाँदा आपका, मुझको प्रभु दिखलाना
दास गणु कहे क्या बोलूं, थक गयी मेरी रसना
रहम नज़र करो अब मेरो साईं, तुम बिन नहीं मुझे माँ-बाप भाई
मैं अँधा हूँ बंदा तुम्हारा, मैं न जानू अल्लाइलाही
खली जमाना मैंने गमाया, साथी आखर का किया न कोई
अपने मशिदका झाड़ू गणू है, मालिक हमारे, तुम बाबा साईं
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