॥ साईं चालीसा प्रारम्भ ॥
॥साईं नाथ अब दीजिये मुझको उत्तम ज्ञान
साईं चालीसा लिख सकूँ होए जगत कल्याण॥
॥ चौपाई ॥
जय जय भक्तो के साईं, तुम बिन मेरा कौन सहाई
संकट मोचन तुम्ही हमारे, रहो भक्तो के सदा रखवारे
अद्भुत है अवतार तुम्हारा, हरो कलेश अब तुम्ही हमारा
दर्शन तुम्हारे जो जान आवे, कष्ट सभी उसके काट जावे
शिर्डी में है धाम तुम्हारा, हरो नाथ जगत अंधियारा
शिर्डी में कैसे थे आये, चमत्कार कैसे दिखलाये
बारात एक शिर्डी में आई, साथ में उसके आये साईं
भिक्षा मांग के किया गुजारा, शिर्डी में था किया बसेरा
जैसे जैसे हुए जवान, वैसे वैसे बढ़ गया मान
चमत्कार देख संब कहते, कुछ भगवान उन्हें समझते
कोई कहे ये हैं भगवान, कोई कहे अल्ला का नाम
कोई कहता है मंगल करता, कहे कोई है सब दुःख हर्ता
बड़े दयालु दीना नाथ, कहे कोई त्रिलोकी नाथ
दुखी एक मद्रासी आया, उसके घर में बहुत थी माया
उसको चिंता थी एक भारी , नहीं कोई संतान हमारी
मुझ पर साईं दया करो, खाली झोली मेरी भरो
तब बाबा ने दिया यह वर, बीटा होगा जा तेरे घर
गया घर पत्नी को बताया, साल एक में पुत्र था पाया
ऐसे थे साईं दुःख हर्ता, कष्ट कलेश दुखो के हर्ता
चमत्कार आटे से कीन्हा, भगा गावं से हैजा दीन्हा
रोता भक्त एक था आया, बाबा को उसने बतलाया
पत्नी देख नहीं सकती मेरी, पास तुम्हारे आ नहीं सकती
बाबा दी चुटकी भभूत की, आँखें ठीक हो गयी उसकी
मेला लगा एक था भारी, पानी बहुत वहां था खारी
दुःख भक्तो का देख न पाये, साथ में उनके कुएं पर आये
पानी में डाले थे फूल, पानी हुआ पीने अनुकूल
ऐसे थे बाबा चमत्कारी, जिनको पूजे सब सब नर-नारी
प्रभु भक्त एक डॉक्टर आये, साईं को तब शीश नवाएँ
सियाराम का दर्शन पाया, तब साईं का गुण गया
राम रहीम एक ही नाम , साईं बनाये बिगड़े काम
साईं को याद करो दिन रात, नहीं खाओगे किसी से मात
उनके वचनो का आकर्षण, कराये जीव में ईश्वर दर्शन
विनती सबकी सुनने वाले, साईं मेरे हैं शिर्डी वाले
धुप दीप जो रोज जलावें, मन वांछित फल वो पावे
साईं को सुमरे जो कोई, उस सम जीव और न कोई
हरे रोग सब मिटती पीड़ा, जपो निरंतर साईं फकीरा
जो जन तुम्हारी शरण में आवे , जनम जनम के दुःख काट जाए
चिंता बाबा हाथ में रखते, कष्ट कलेश सभी के हरते
समाधि ली शिर्डी में जब , अमर हो गए साईं तब
गावे साईं चालीसा, "सौरभ " उनके साथ जगदीशा
॥दोहा॥
चालीसा प्रभु शिर्डी वाले का, गाया "सौरभ" मन लाय।
बाल न बांका उनका होवे , साईं सदा सहाय।
Great!
ReplyDeleteShri Sai Chalisa
Jo Shirdi me aayega,
ReplyDeleteAapat door bhagaega !
Chadhe samaadhi ki Sidhi par,
Pair tale dukh ki pidaa kar !
Tyag sharir chalaa jaunga ,
Bhakt hetu dauraa aaunga !
Man me rakhna dreedh vishwas ; kare samaadhi puri AAS !
Mujhe sadaa jiveet hi jaano , anubhav Karo Satya pahchano!
Bhaar tumhara mujhpar hoga vachan n mera jhutha hoga
Meri sharan aa khaali jaaye ho to koi mujhe bataaye
Jaisaa bhaav rahaa jis Jan kaa waisaa roop huaa mere man ka
Aa sahayetaa lo bhar pur Jo manga vah nhi hai door
Mujhme lin vachan man kaaya uskaa reen n kabhi chukaaya
Dhanya Dhanya jo bhakt ananya
Meri sharan taj jishe n ann....
Om Sai Ram baba tujhe pranam
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