साईं बाबा के अमृत वचन
जो शिर्डी में आएगा। आपद दूर भगायेगा।
चढ़े समाधि की सीढ़ी पर। पैर तले दुःख की पीड़ा कर।
त्याग शरीर चला जाऊंगा। भक्त हेतु दौड़ आऊंगा।
मन में रखना ढृढ़ विश्वास। करे समाधि पूरी आस।
अनुभव करो सत्य पहचानो।
मेरी शरण आ खाली जाए।
हो तो कोई मुझे बताये।
जैसा भाव रहा जिस जन का।
वैसा रूप हुआ मेरे मन का।
आ सहायता लो भरपूर। जो माँगा वह नहीं दूर।
मुझमे लीन वचन मन काया। उसका ऋण कभी न चुकाया।
धन्य -धन्य वह भक्त अनन्य। मेरी शरण तज जिसे न अन्य।
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